मौन प्रेम...!
साधना... स्वयं शिव है
और शिव...
प्रेम भी है, सृजन भी...
और स्वयं ही विध्वंस भी...!
शिव... मुझे तुम्हारे प्रति उपजे
मोह को
आत्मसात नहीं करने...
और शिव...
प्रेम भी है, सृजन भी...
और स्वयं ही विध्वंस भी...!
शिव... मुझे तुम्हारे प्रति उपजे
मोह को
आत्मसात नहीं करने...