18 views
मौन प्रेम...!
साधना... स्वयं शिव है
और शिव...
प्रेम भी है, सृजन भी...
और स्वयं ही विध्वंस भी...!
शिव... मुझे तुम्हारे प्रति उपजे
मोह को
आत्मसात नहीं करने देता...!!
परंतु...मेरे अछूते प्रेम को
स्वीकृत करता है...
शिवांश,मुझे तुम्हारे रुप...अरुप...कुरुप
सब रुपों से नेह है...!
सुनो प्रिय,
हमारी ये मौन साधनाएं...
हमारे प्रेम का पर्याय है...!!
जो अनश्वर भी है...और अनंत के
... समकक्ष भी!!!
और शिव...
प्रेम भी है, सृजन भी...
और स्वयं ही विध्वंस भी...!
शिव... मुझे तुम्हारे प्रति उपजे
मोह को
आत्मसात नहीं करने देता...!!
परंतु...मेरे अछूते प्रेम को
स्वीकृत करता है...
शिवांश,मुझे तुम्हारे रुप...अरुप...कुरुप
सब रुपों से नेह है...!
सुनो प्रिय,
हमारी ये मौन साधनाएं...
हमारे प्रेम का पर्याय है...!!
जो अनश्वर भी है...और अनंत के
... समकक्ष भी!!!
Related Stories
46 Likes
9
Comments
46 Likes
9
Comments