...

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क्या सुरक्षित ये जहां मेरे लिए होगा!!
बंधे हैं,,अब भी संस्कारों के बेड़ियों में इन बेड़ियों से क्या मिलेगी कभी आजादी मुझे!!

चल सकूं मैं खुद के इरादों पर,, क्या ऐसा कभी होगा,,अब बंधनों से क्या मुक्त मेरा भी मन होगा!!

रखना है हर क़दम सोचकर क्या,, हैवानियत न संग मेरे होगा,, निकल सकूं मैं निडर क्या,, सुरक्षित ये जहां मेरे लिए होगा??