खयाल
कभी रौनक ए खुमार देखा
कभी गमों का बहार देखा
उम्र की बढ़ती सीढ़ियों से
फिसलता...
कभी गमों का बहार देखा
उम्र की बढ़ती सीढ़ियों से
फिसलता...