ऐतबार के क़त्ल
रात इतनी काली भी नहीं थी
अब सवाल ऐतबार के क़त्ल का था,
बात दिल के ज़ख्मों की भी नहीं थी
अब सवाल एतमाद के क़त्ल का था,
बात अब...
अब सवाल ऐतबार के क़त्ल का था,
बात दिल के ज़ख्मों की भी नहीं थी
अब सवाल एतमाद के क़त्ल का था,
बात अब...