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सड़क
#सड़क
आधा सड़क सरकार का,
आधा सड़क निर्माणकार का;
आधा सड़क बेघर यार का,
अजब विडंबना है!
बनती रोज सरकारों ने
सड़क रोज बनवाई
अवैध कारोबार ने
सड़कों पर दरारें करवायी
कुछ पैसे खा जाते नेता
कुछ इंजीनियरों और दलालों
खाई है मलाई
इन टूटे गड्ढ़ों पर
बेघर यारों का डेरा
बची हुई सड़कों पर यारों
अक्सर लगता मेला
भीड़ भाड़ से लगे जाम तो
पुलिस का लगता फेरा
मिल जाती है कीमत सबको
जनता करे बखेरा।

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