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चंचल मन
1.) ये मन बढ़ा चंचल हैं
शरारती हैं और नटखट हैं
समझाने से भी समझता नहीं
क्योंकि यह एक आज़ाद पंछी हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
2.) कभी किसी से मिलना चाहता हैं
तो कभी किसी को देखना चाहता हैं
जो बात केह नहीं सकतें
वही बात यह आँखों से कर लेता हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
3.) दिन हो या रात हो ये चलता रहता हैं
हर वक्त न जाने क्या - क्या सोचता रहता हैं
रोके से न रुकता हैं
यह तो बस चलता रहता हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
4.) कभी भविष्य में चला जाता हैं
तो कभी अतीत को याद करता हैं
हवा से तेज यह चलता हैं
पल भर में न जाने कहाँ - कहाँ हो आता हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
5.) न तो इसे कोई देख पाए
और न ही इसे कोई सुन पाए
यह तो एक आभास हैं
जो सभी के पास हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
Rishabh
#75LCFB
#poem
शरारती हैं और नटखट हैं
समझाने से भी समझता नहीं
क्योंकि यह एक आज़ाद पंछी हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
2.) कभी किसी से मिलना चाहता हैं
तो कभी किसी को देखना चाहता हैं
जो बात केह नहीं सकतें
वही बात यह आँखों से कर लेता हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
3.) दिन हो या रात हो ये चलता रहता हैं
हर वक्त न जाने क्या - क्या सोचता रहता हैं
रोके से न रुकता हैं
यह तो बस चलता रहता हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
4.) कभी भविष्य में चला जाता हैं
तो कभी अतीत को याद करता हैं
हवा से तेज यह चलता हैं
पल भर में न जाने कहाँ - कहाँ हो आता हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
5.) न तो इसे कोई देख पाए
और न ही इसे कोई सुन पाए
यह तो एक आभास हैं
जो सभी के पास हैं
ये मन बढ़ा चंचल हैं!
Rishabh
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