पर क्यूं
अगर बुराई का अंत करना है,
तो जिंदगी में सहना पड़ता है।
जो मुश्किलों से डकराना है,
वो किसी को पता नही चलता।
जब पैर फिसलते है तो डरते
पर किसी को मतलब ही नहीं।
जब ऊंचाइयों को छूते है तब
उसका हक तो सबसे बाढ़ना है।
तो जिंदगी में सहना पड़ता है।
जो मुश्किलों से डकराना है,
वो किसी को पता नही चलता।
जब पैर फिसलते है तो डरते
पर किसी को मतलब ही नहीं।
जब ऊंचाइयों को छूते है तब
उसका हक तो सबसे बाढ़ना है।
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