कितने करीब हो तुम
रोज पूछते हो मुझसे ,कैसे समझाऊँ,
मेरी कलम से या मेरे लफ्जों में बयां करती जाऊँ?
मैं गुलाब तो मेरी महक हो तुम,
मैं चिड़िया तो मेरी चहक हो तुम,
मैं नदी तो मेरी धार हो तुम,
मैं नयन तो मेरा काजल हो तुम,
मैं कलम तो मेरी लेखनी हो तुम,
मैं हृदय तो मेरी धड़कन हो तुम,
मैं व्यक्तित्व तो मेरा गुरुर हो तुम,
मैं बंदिनी तो मेरे सखा हो तुम,
अब और बयान करूँ क्या,
कि कितने करीब हो तुम??
😊✍️❤️😊❤️✍️😊✍️❤️
© RUMANN MANCHNDA
मेरी कलम से या मेरे लफ्जों में बयां करती जाऊँ?
मैं गुलाब तो मेरी महक हो तुम,
मैं चिड़िया तो मेरी चहक हो तुम,
मैं नदी तो मेरी धार हो तुम,
मैं नयन तो मेरा काजल हो तुम,
मैं कलम तो मेरी लेखनी हो तुम,
मैं हृदय तो मेरी धड़कन हो तुम,
मैं व्यक्तित्व तो मेरा गुरुर हो तुम,
मैं बंदिनी तो मेरे सखा हो तुम,
अब और बयान करूँ क्या,
कि कितने करीब हो तुम??
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© RUMANN MANCHNDA