...

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कुछ "अनमोल" लोगों से"रिश्ते" रखता हूँ।
ख्वाहिश नहीं, मुझे
मशहूर होने की,

आप मुझे "पहचानते" हो,
बस इतना ही "काफी" है।

अच्छे ने अच्छा और
बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,

जिसकी जितनी "जरूरत" थी
उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!

जिन्दगी का "फलसफा" भी
कितना अजीब है,

"शामें "कटती नहीं और
"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!

एक अजीब सी
'दौड़' है ये जिन्दगी,

"जीत" जाओ तो कई
अपने "पीछे छूट" जाते हैं और

हार जाओ तो,
अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!

बैठ जाता हूँ
मिट्टी पे अक्सर,

मुझे अपनी_
"औकात" अच्छी लगती है।

मैंने समंदर से
"सीखा "है जीने का तरीका,

चुपचाप से "बहना "और
अपनी "मौज" में रहना।

ऐसा नहीं कि मुझमें
कोई "ऐब "नहीं है,

पर सच कहता हूँ
मुझमें...