बागों में बहार है
बागों में बहार है फूल खिले थे चार है
कर लो रखवाली फूलों की
चोर सरे बाजार है जैसे चुनावी हार है
नेता जी फरार है जनता ठगी बार-बार है
नोटों की माला हजार है
लाठी-ड़डे बाहर है
बन ही जाएंगी सरकार है
हम किसी के नौकर नहीं
नौकर हमारे हजार है
पांच साल के राजा हम है
लोकतंत्र का बोलो जयकारा
नीति-नियम से हम बाहर है
अगली बार फिर आएंगे
मूर्ख बनाकर फिर जाएंगे।।
© Yogendra Singh
कर लो रखवाली फूलों की
चोर सरे बाजार है जैसे चुनावी हार है
नेता जी फरार है जनता ठगी बार-बार है
नोटों की माला हजार है
लाठी-ड़डे बाहर है
बन ही जाएंगी सरकार है
हम किसी के नौकर नहीं
नौकर हमारे हजार है
पांच साल के राजा हम है
लोकतंत्र का बोलो जयकारा
नीति-नियम से हम बाहर है
अगली बार फिर आएंगे
मूर्ख बनाकर फिर जाएंगे।।
© Yogendra Singh