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ग़ज़ल
राधा राणा की कलम से ✍️
,,,,,,
दोस्ती ऐसे निभाई जाएगी ।
हर वफ़ा सूली चढ़ाई जाएगी।
सच उछालेगा दबाकर झूठ जब,
बात तब तेरी दबाई जाएगी ।
खोफ क्यों खाता रहा है ग़म से तू,
दास्तां ये बन दवाई जाएगी।
जो मशालें लेकर आए हैं यहाँ,
राह उनको ही दिखाई जाएगी ।
आइना उस रोज ही तू देखना,
छूट जब सारी बुराई जाएगी ।
सागरों से जल पिलाया जाएगा,
प्यास अंबर की बुझाई जाएगी।
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दोस्ती ऐसे निभाई जाएगी ।
हर वफ़ा सूली चढ़ाई जाएगी।
सच उछालेगा दबाकर झूठ जब,
बात तब तेरी दबाई जाएगी ।
खोफ क्यों खाता रहा है ग़म से तू,
दास्तां ये बन दवाई जाएगी।
जो मशालें लेकर आए हैं यहाँ,
राह उनको ही दिखाई जाएगी ।
आइना उस रोज ही तू देखना,
छूट जब सारी बुराई जाएगी ।
सागरों से जल पिलाया जाएगा,
प्यास अंबर की बुझाई जाएगी।
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