...

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गज़ल
दिल में मेरे तेरा ठिकाना है
तू ने कब मुझको अपना जाना है

कब ग़लत ठीक मैंने जाना है
रात को मैं ने दिन भी माना है

रोते रह जाउगे मुझे खोकर
लोट कर मुझको फिर ना आना है

तुम हो खाना बदोश तुमको क्या
मुझको दिल तुझ से ही लगाना है

© Ahmed Shahbaz ‎احمد شہباز