...

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महलों में बंजारा
महलों की दुनिया में दिखाई दिया एक बंजारा
शौक था उसका घूमना~ फिरना,
कांच की दुनिया से दूर जाकर था बसाना डेरा
हर कस्ती में जाकर बैठना था उसका शौक,
जो ले जाए उसे जंजीरों से दूर
महलों की दुनिया में जीने के बाद भी उसका मन था आवारा
महलों की दुनिया में दिखाई दिया एक बंजारा..
शौक था उसका हरी~भरी दुनिया में खुलकर जीना
बिना किसी रुकावट के चलते रहना,
ना दुनिया की जंजीर में रहना, ना कुछ पाने के सपने
बस चलते रहा , फितरत थी उसकी यायावर सी
यायावर सा था मन आवारा,
महलों की दुनिया में दिखाई दिया एक बंजारा
राह मे कस्तियो ने भुला दी उसकी यायावरी
जकड़ लिया जंजीरों ने उसे चारो ओर, चाहकर भी छूटना बस में नही
एक नाव में याद बनकर चलने लगा उसका यायावरीपन,
थक कर मोह के नातो से रिश्ते तोड़कर चला
प्यारा था उसका आवारापन
नही छुड़ा पाया कोई उसका बंजारा जीवन,
महलों से दूर, मन की मस्ती मे रहना यह था उसका बंजारापन।