महलों में बंजारा
महलों की दुनिया में दिखाई दिया एक बंजारा
शौक था उसका घूमना~ फिरना,
कांच की दुनिया से दूर जाकर था बसाना डेरा
हर कस्ती में जाकर बैठना था उसका शौक,
जो ले जाए उसे जंजीरों से दूर
महलों की दुनिया में जीने के बाद भी उसका मन था आवारा
महलों की दुनिया में दिखाई दिया एक बंजारा..
शौक था उसका हरी~भरी दुनिया में खुलकर जीना
बिना...
शौक था उसका घूमना~ फिरना,
कांच की दुनिया से दूर जाकर था बसाना डेरा
हर कस्ती में जाकर बैठना था उसका शौक,
जो ले जाए उसे जंजीरों से दूर
महलों की दुनिया में जीने के बाद भी उसका मन था आवारा
महलों की दुनिया में दिखाई दिया एक बंजारा..
शौक था उसका हरी~भरी दुनिया में खुलकर जीना
बिना...