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हसरत/हकीकत
हसरत🤫
नींद में भी पुकारूं तो चला आता है वो।
मेरी खातिर न जाने कहांँ-कहांँ जाता है वो।
मेरी उदासी से शिकन
खामोशी में बढ़ती उसकी धड़कन।
खोने के डर से सिहर जाता है वो
पाने के खातिर न जाने किधर- किधर जाता है वो।
हकीकत🤐
पास आने के डर से दूरियों का बहाना दिया है
खुद की नामंजूरी को उसने नाम जमाना दिया है
उदासी अब नखरे हैं हमारे
बातें बेवजह और दुखड़े हैं हमारे
महफिल के बाद तन्हाइयों का ठिकाना दिया है
पास न आने को दूरियों का बहाना दिया है।
© ✍️vc_darpan
नींद में भी पुकारूं तो चला आता है वो।
मेरी खातिर न जाने कहांँ-कहांँ जाता है वो।
मेरी उदासी से शिकन
खामोशी में बढ़ती उसकी धड़कन।
खोने के डर से सिहर जाता है वो
पाने के खातिर न जाने किधर- किधर जाता है वो।
हकीकत🤐
पास आने के डर से दूरियों का बहाना दिया है
खुद की नामंजूरी को उसने नाम जमाना दिया है
उदासी अब नखरे हैं हमारे
बातें बेवजह और दुखड़े हैं हमारे
महफिल के बाद तन्हाइयों का ठिकाना दिया है
पास न आने को दूरियों का बहाना दिया है।
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