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#मयखाने
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
आबाद हुए हमारे,,,दिल के विराने है,,
रौशनी के फिराक मे थी,,शब की तन्हाईयां,
माह-ए-कमल के आगोश मे अब इसके ठिकाने है,,
जलते हुए चरागो को देखकर जरा तसल्ली हुई,,
इश्क के आग मे जल रहे,,हम जैसे कई दिवाने है,,
बेवफाई से घायल,,दिल को जीने का सलीका न आया,,
अहल-ए-दिल के पास,,मरने के सौ सौ बहाने हैं,,
© kuhoo
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
आबाद हुए हमारे,,,दिल के विराने है,,
रौशनी के फिराक मे थी,,शब की तन्हाईयां,
माह-ए-कमल के आगोश मे अब इसके ठिकाने है,,
जलते हुए चरागो को देखकर जरा तसल्ली हुई,,
इश्क के आग मे जल रहे,,हम जैसे कई दिवाने है,,
बेवफाई से घायल,,दिल को जीने का सलीका न आया,,
अहल-ए-दिल के पास,,मरने के सौ सौ बहाने हैं,,
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