सुभान अल्लाह
भटकती हूँ जिसकी चाह में दर बदर
वो अगर मिल जाए तो सुभान अल्लाह
जितनी दूरियां हैं हम दोनों के दरमियां कुछ वो भी तेय कर जाए तो सुभान अल्लाह
मेरी उम्मीदें जो तेरी...
वो अगर मिल जाए तो सुभान अल्लाह
जितनी दूरियां हैं हम दोनों के दरमियां कुछ वो भी तेय कर जाए तो सुभान अल्लाह
मेरी उम्मीदें जो तेरी...