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एक सलाम सच्चे नायकों के नाम
है जिनकी देन से आज सवेरा,
जो देके लबों पर गीत गये,
सौ बार नमन है कम बेशक,
उनको जो आखिर जीत गये!

सीने पर गोली खाकर भी ,
जो बस आगे ही बढ़ते रहे,
सांस ना छूट गई जब तक,
वो फिरंगियों से लड़ते रहे,

खूं मे लथपथ थे पर उनको,
थोडी थकन ना आती थी,
पांव के छाले उनके लहु मे,
जीत की अगन लगाती थी,

बंदूक की ठोकर सह-सह कर,
कंधे जब जख्मी हो जाते,
बांध खपाच को कंधे पर,
वो शूरवीर फिर डट जाते,

भेंट मे आजदी देकर जो ,
वो मांटी के पूत गये ,
सौ बार नमन है कम बेशक,
उनको जो आखिर जीत गये!

जिस मां की आंख के तारे थे,
उन आंख मे आंसू छोड़ गये,
उस बूढे बाप की बैसाखी,
माटी के लिये जो तोड़ गये,

ना सोचा राखी की ये कलाई,
बहिना कहां से लायेगी,
सजनी का भी ना सोचा ,
किसे विजय का तिलक लगायेगी,

आजादी के लिये छोड़कर ,
जो अपनो की प्रीत गये,
सौ बार नमन है कम बेशक,
उनको जो आखिर जीत गये!

हे वीर तुम्हे ये पुष्प समर्पित ,
" रवि" का तुम्हे सलाम मिले,
नायक हो बस तुम ही सच्चे ,
तुमको ये हमारा पयाम मिले,

वो तुम हो जो भारत मां से,
देकर के प्रीत की रीत गये,
सौ बार नमन है कम बेशक,
उनको जो आखिर जीत गये!
© 🌞ravi