तुम क्या जानो
तुम क्या जानो सच्चे प्रेम को,
जिसने ना कभी महसूस किया।
लफ्जों में अब किस विधि बोलूं,
तुम्हारे वियोग में मेरे हृदय ने,
जाने कितना शोक किया।
तुम क्या जानो सच्चे प्रेम को,
जिसने ना कभी महसूस किया।
तुम्हारे द्वारा दी पीड़ा ने,
मेरी अंतरात्मा को जब झंजोर दिया।
तब जाके फिर मैने भी प्रेम को,
हृदय से अपने तब त्याग दिया
तुम क्या जानो सच्चे प्रेम को,
जिसने ना कभी महसूस किया।
छल में तुम्हारे बल था इतना जिसने,
प्रेम को हृदय द्वार पे रोक दिया।
कर प्रयास फिर जाकर मैंने भी,
तुम्हारी बाट जोहना छोड़ दिया।
तुम क्या जानो सच्चे प्रेम को,
जिसने ना कभी महसूस किया।
© Sweety Mishra
जिसने ना कभी महसूस किया।
लफ्जों में अब किस विधि बोलूं,
तुम्हारे वियोग में मेरे हृदय ने,
जाने कितना शोक किया।
तुम क्या जानो सच्चे प्रेम को,
जिसने ना कभी महसूस किया।
तुम्हारे द्वारा दी पीड़ा ने,
मेरी अंतरात्मा को जब झंजोर दिया।
तब जाके फिर मैने भी प्रेम को,
हृदय से अपने तब त्याग दिया
तुम क्या जानो सच्चे प्रेम को,
जिसने ना कभी महसूस किया।
छल में तुम्हारे बल था इतना जिसने,
प्रेम को हृदय द्वार पे रोक दिया।
कर प्रयास फिर जाकर मैंने भी,
तुम्हारी बाट जोहना छोड़ दिया।
तुम क्या जानो सच्चे प्रेम को,
जिसने ना कभी महसूस किया।
© Sweety Mishra