सुकून
सुकून देती है कभी
जब भी एकांत
और शांत बैठती हूं मैं
हां......सुकून देती है तभी
कुछ यादें, कुछ बातें और मुलाकातें
जब चारों ओर सिर्फ होता है सन्नाटा
तब उनका नाम और धुंधली सी शाम
धीरे से दस्तक देती है...
जब भी एकांत
और शांत बैठती हूं मैं
हां......सुकून देती है तभी
कुछ यादें, कुछ बातें और मुलाकातें
जब चारों ओर सिर्फ होता है सन्नाटा
तब उनका नाम और धुंधली सी शाम
धीरे से दस्तक देती है...