मेहबूब
शाम से बैठा रहा छत पे मैं यह सोच कर,
चाँद मिलने आएगी माँ से झूठ बोल कर,
क्या पता था...
चाँद मिलने आएगी माँ से झूठ बोल कर,
क्या पता था...