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उम्मीद!!
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
रास्ते मीलों का पत्थरों का है शहर
बीन रहे हैं हम यहाँ
कंकड़ों से भरी डगर
बंद जो ख्वाब थे
उड़ने को बेताब थे
जब रंग खिले
आसमानों में
पँख लगाकर उम्मीद के
हम दीवाने चले
साथ थी ख्वाहिशों की बदली
बरस पड़ी उस पर प्रेम की वंशी
मेरे उस बावरे कान्हा की
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
रास्ते मीलों का पत्थरों का है शहर
बीन रहे हैं हम यहाँ
कंकड़ों से भरी डगर
बंद जो ख्वाब थे
उड़ने को बेताब थे
जब रंग खिले
आसमानों में
पँख लगाकर उम्मीद के
हम दीवाने चले
साथ थी ख्वाहिशों की बदली
बरस पड़ी उस पर प्रेम की वंशी
मेरे उस बावरे कान्हा की
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