मेरा गांव
कहां गया वो गांव मेरा
जहां रहती थी चहल-पहल
पेड़ किनारे, छांव बैठे
बुजुर्ग लेते थे लोगों की खोज-खबर
जहां ना होता कोई झूठा दिखावा
चलती थी सच्चाई की लहर ।।
जीवन का ये मेरा सफर
गांव छोड़कर आये शहर
अब नये सपनों की तलाश में
भटक रहे हैं दर-बदर
यहां देखा है...
जहां रहती थी चहल-पहल
पेड़ किनारे, छांव बैठे
बुजुर्ग लेते थे लोगों की खोज-खबर
जहां ना होता कोई झूठा दिखावा
चलती थी सच्चाई की लहर ।।
जीवन का ये मेरा सफर
गांव छोड़कर आये शहर
अब नये सपनों की तलाश में
भटक रहे हैं दर-बदर
यहां देखा है...