...

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क़िस्मत की लकीरों से...
किस्मत की लकीरों से लड़कर कहाँ जाओगे
वक़्त से आगे बढ़कर तुम बोलो कहाँ जाओगे

साथ साथ चलता रहेगा सफ़र सुख दुख का ये
खुशियाँ भी यहीं मिलेंगी, दुख भी यहीं पाओगे

लोगों की मत सुनो अपना आईना ख़ुद बनो
अपना अक्स देखोगे तो तुम भी मुस्कुराओगे

मत होना मायूस यहाँ तुम ज़िन्दगी की मुसीबतों से
जितनी तकलीफ़े पाओगे उतना ही निखरते जाओगे

धीरे धीरे ही सही तुम बढ़ते रहो रहगुज़र की जानिब
एक दिन तुम मंज़िल पर विजय पताका लहराओगे।

© Gaurav J "वैरागी"
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