...

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मन में उठती टीस
काटा टुकड़ों में उसे , संख्या‌‌ है पैंतीस ।
खून खोलता आज है , मन में उठती टीस ।।
मन में उठती टीस , रिलेशन अब लिव इन का ।
घातक है परिणाम , भरोसा अपने पन का ।।
आफताब का खेल , भोगती श्रृद्धा घाटा ।
तन मन जाता काँप , सुना जब कैसे काटा ।।