मंज़िल , जो बिना राहों के अधूरी है.
ये रास्ते हमसे कुछ कहते हैं,
ना जाने क्यूँ ये ग़ुम रहते हैं,
मेरी मंज़िल का कोई अंत नहीं..
पर रास्ते हमेशा संग रहते हैं।
राही और राह का मेल ग़जब है,
किस्मत और रब का खेल अजब है,
कठनाइयाँ कितनी भी हो, सब...
ना जाने क्यूँ ये ग़ुम रहते हैं,
मेरी मंज़िल का कोई अंत नहीं..
पर रास्ते हमेशा संग रहते हैं।
राही और राह का मेल ग़जब है,
किस्मत और रब का खेल अजब है,
कठनाइयाँ कितनी भी हो, सब...