...

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तुझको मैं बतलाता कैसे
सोच रहा हूं आता कैसे,
दिल की तड़प मिटाता कैसे।
तेरा बन के रह जाऊंगा,
तुमको यह बतलाता कैसे।।

पल पल कुछ कुछ सोच रहा हूं,
लेकिन जुगत लगाता कैसे,
तू चंचल है हिरनी जैसी,
तुझ पर पार मैं पाता कैसे,
मेरे मन में क्या है क्यों है,
तुमको यह समझाता कैसे,
नित्य नए तू रंग बदलती,
तुमको जान मैं पता कैसे।

सोच रहा हूं आता कैसे,
दिल की तड़प मिटाता कैसे।
तेरा बन के रह जाऊंगा,
तुमको यह बतलाता कैसे।।

तू अनंत है सागर जैसी,
मन में लाखों भाव छुपाएं,
ढूंढ रहा हूं डूब डूब कर,
मेरे नाम का सीप कहां है,
जब डूबा तो समझ नहीं था,
तेरे मन के गहराई की,
जो एक बार डूब जाए तो,
फिर से उबर कहां पाता है।

सोच रहा हूं आता कैसे,
दिल की तड़प मिटाता कैसे।
तेरा बन के रह जाऊंगा,
तुमको यह बतलाता कैसे।।

दिल की कसक मिटाता कैसे,
तेरे पास ना आता कैसे,
सांझ हुई तू घर ना लौटी,
मन की थकन मिटाता कैसे,
कब से तुझको ढूंढ रहा था,
बिन खोजे रह पाता कैसे,
तुझसे जो कुछ भी कहना है,
तुझको ना बतलाता कैसे,
नहीं कहा तो मर जाऊंगा,
बिन बोले मर जाता कैसे।

सोच रहा हूं आता कैसे,
दिल की तड़प मिटाता कैसे।
तेरा बन के रह जाऊंगा,
तुमको यह बतलाता कैसे।।

लाख भटक कर ढूंढ रहा था,
खोज लूं जिसकी मुझको है जरूरत,
जाने कितने चेहरे देखे,
मगर कोई दिल को ना भया,
जब भी तेरी तरफ मै देखू,
नित्य नई मै तुझको पाऊ,
ढूंढ रहा था बाहर तुझको,
सब जग देखा जग छाना,
मेरे अंदर बसती थी तू,
तुझको भूल मै कैसे पाता।।

सोचता हूं मिलूंगा तुझसे,
दिल की तड़प मिटाऊंगा,
गर तेरा मै बन ना पाया,
फिर भी..
कितना प्यार मेरे अंदर है,
तुझको यह बतलाऊंगा मै।।