तुझको मैं बतलाता कैसे
सोच रहा हूं आता कैसे,
दिल की तड़प मिटाता कैसे।
तेरा बन के रह जाऊंगा,
तुमको यह बतलाता कैसे।।
पल पल कुछ कुछ सोच रहा हूं,
लेकिन जुगत लगाता कैसे,
तू चंचल है हिरनी जैसी,
तुझ पर पार मैं पाता कैसे,
मेरे मन में क्या है क्यों है,
तुमको यह समझाता कैसे,
नित्य नए तू रंग बदलती,
तुमको जान मैं पता कैसे।
सोच रहा हूं आता कैसे,
दिल की तड़प मिटाता कैसे।
तेरा बन के रह जाऊंगा,
तुमको यह बतलाता कैसे।।
तू अनंत है सागर जैसी,
मन में लाखों भाव छुपाएं,
ढूंढ रहा हूं डूब डूब कर,
मेरे नाम का सीप कहां है,
जब डूबा तो समझ नहीं था,
तेरे मन के गहराई की,
जो एक बार डूब जाए...
दिल की तड़प मिटाता कैसे।
तेरा बन के रह जाऊंगा,
तुमको यह बतलाता कैसे।।
पल पल कुछ कुछ सोच रहा हूं,
लेकिन जुगत लगाता कैसे,
तू चंचल है हिरनी जैसी,
तुझ पर पार मैं पाता कैसे,
मेरे मन में क्या है क्यों है,
तुमको यह समझाता कैसे,
नित्य नए तू रंग बदलती,
तुमको जान मैं पता कैसे।
सोच रहा हूं आता कैसे,
दिल की तड़प मिटाता कैसे।
तेरा बन के रह जाऊंगा,
तुमको यह बतलाता कैसे।।
तू अनंत है सागर जैसी,
मन में लाखों भाव छुपाएं,
ढूंढ रहा हूं डूब डूब कर,
मेरे नाम का सीप कहां है,
जब डूबा तो समझ नहीं था,
तेरे मन के गहराई की,
जो एक बार डूब जाए...