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कल किसे पता क्या हो जाये - Anuj Kumar Gautam AshQ
हे प्राण प्रिये तुम आज रुको,
कल किसे पता क्या हो जाये ।।

प्रणय समर्पण अल्हण जीवन,
नेह अलौकिक द्रष्टि सु‌नहरी,
आत्म मिलन तुम अभी करो,
कल किसे पता क्या हो जाये ।

एक पल में समर बदलती है,
पर भर में मौत सताती है,
किस पल में धरा पलट जाये,
कल‌ किसे पता क्या हो जाये ।

तूफां एक पल में आता है,
भूचाल कभी आ जाता है,
कब बिजली आदि टपक जाये,
कल किसे पता क्या हो जाये ।

उपवन कुंभलाता है क्षण में,
मड़राता काल भी है क्षण में,
कब वक़्त का पासा पलट जाये,
कल किसे पता क्या हो जाये ।

जब साथ मिला है जीवन में,
तो नेह सुधा रस लो‌ मन में,
एक चाय में दोनों घुल जाये,
कल किसे पता क्या हो जाये ।

कुछ कहना है तो अभी कहो,
कल का न अब इंतजार करो,
कल कहीं अश्क न बह जाये,
कल किसे पता क्या हो जाये ।

- अनुज कुमार गौतम 'अश़्क'