ज़िन्दगी
चुपके से कोई कहता है शाएर नहीं हूँ मैं
क्यूँ अस्ल में हूँ जो वो ब-ज़ाहिर नहीं हूँ मैं
भटका हुआ सा फिरता है दिल किस ख़याल में
क्या...
क्यूँ अस्ल में हूँ जो वो ब-ज़ाहिर नहीं हूँ मैं
भटका हुआ सा फिरता है दिल किस ख़याल में
क्या...