...

8 views

अचानक उसका मिलना
देखा उसे और बस चेहरा घुमा के रह गया,
वो था कोई जो ज़िंदगी में आते आते रह गया.

वो अचानक ही मिला, हैरान दोनों ही रह गए,
जैसे यादों का कोहरा चेहरों पे आके रह गया.

आँखें मिलीं इक दफ़ा और उस पर ठहर गईं,
मैं जाने कैसे उस लम्हा बस मुस्कुरा के रह गया.

बातें उससे करने की थी मेरे दिल में कश्मकश,
और हाल उससे पूछने का ख़्याल दिल में रह गया.

मैंने जाना ज़िन्दगी में वो तो आगे बढ़ चुका,
यादों सहारे अब तलक़ मैं ही खड़ा क्यूं रह गया.

ऊपर खुशी थी, अंदर उसे न पाने का ग़म था,
थी वो सरकती रेत मैं जिसे मुठ्ठी में बांधे रह गया.
© अंकित प्रियदर्शी 'ज़र्फ़'
#shayari #poetrycommunity #Love&love #Hindi #urdupoetry #ghazal #Life&Life