...

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कैसी तेरी खुदगर्जी
ओ हमें पहचानते नहीं,
वह उनकी वफ़ा है
हम उनको दिल मे संजोए हुए हैं,
यह हमारी वफ़ा है
वफाओं का सिला दे,
युं उम्मीद से ना अलग कर
तुम्हे भी मालुम और हमे भी मालुम,
सच और झुठ की दास्तान बड़ी लम्बी है,
सबकुछ जानकर भी युं खुदगर्ज ना बना कर


© Birendra Debta