...

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आंखें
पानी से भर जाती है ये आंखे,
चाहे गम हो या ख़ुशी की बात हो।
मिटा नहीं करती स्मृति इसकी
चाहे धूप हो या बरसात हो।
पहचान लेती है सब कुछ ये तुरंत
चाहे मित्र का स्नेह हो या शत्रु का घात हो।
सुना है, अधर जो ना कह पाते हैं,
वो शब्द भी ये कह जाते हैं,
जैसे इन्ही से शुरू होती वो बात हो।
जो प्रेम में सबको डूबाती हैं,
और क्रोध में खुद को बढ़ाती हैं।
झूठ बोलों तो बार बार झपक जाती हैं,
हर भावनाओं को आंखें प्रथम दर्शाती हैं।

- @kavyaprahar