आज क्यों ये दिन आया।।
आज क्यों ये दिन आया, चारो तरफ ये कैसा अंधेरा छाया।।
क्यों नजर नहीं आ रही आशा की किरण कोई।
क्यों धुंधला गया मानव का अपना ही सायां।।
किस लालसा ने मानव का मानस भटकाया।
क्यों उसने अपने ही विनाश का अलख जगाया।।
आज क्यों ये दिन आया,चारो तरफ ये कैसा सन्नाटा पसराया।।
क्यों डरता...
क्यों नजर नहीं आ रही आशा की किरण कोई।
क्यों धुंधला गया मानव का अपना ही सायां।।
किस लालसा ने मानव का मानस भटकाया।
क्यों उसने अपने ही विनाश का अलख जगाया।।
आज क्यों ये दिन आया,चारो तरफ ये कैसा सन्नाटा पसराया।।
क्यों डरता...