...

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सच
कहते हैं!
पल भर की जिंदगी हैं।
तो हर पल जिया ही नहीं क्या अभी तक तुमने?
मुझसे कहे हर बार मेरी आँखे।
क्यूँ,कहती हर बात ।क्यूँ नहीं मान सकती।
क्या सब पर यकिन करना इतना आसान हैं?
मुझे इसका उत्तर देने में हिचक नहीं होती।
बिल्कुल।
मैं कह देती हँस कर हमेशा कि,
क्यूँ और कैसे याद रखेगा कोई हमें।
जब मिलने वाले हर श्ख्शियत से शक कर ले।
दूर हो बीता ले बिना किसी से बात कर पूरी जिंदगी।
एक ही मिली हैं।
ये मेरी है तो ,अच्छा लगेगा नहीं मुझे मेरा ही ऐसा बर्ताव।
आखिर मैं अपने आप को याद रखने के लिए...