...

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सच
कहते हैं!
पल भर की जिंदगी हैं।
तो हर पल जिया ही नहीं क्या अभी तक तुमने?
मुझसे कहे हर बार मेरी आँखे।
क्यूँ,कहती हर बात ।क्यूँ नहीं मान सकती।
क्या सब पर यकिन करना इतना आसान हैं?
मुझे इसका उत्तर देने में हिचक नहीं होती।
बिल्कुल।
मैं कह देती हँस कर हमेशा कि,
क्यूँ और कैसे याद रखेगा कोई हमें।
जब मिलने वाले हर श्ख्शियत से शक कर ले।
दूर हो बीता ले बिना किसी से बात कर पूरी जिंदगी।
एक ही मिली हैं।
ये मेरी है तो ,अच्छा लगेगा नहीं मुझे मेरा ही ऐसा बर्ताव।
आखिर मैं अपने आप को याद रखने के लिए असली वजह तो बन सकती हूँ।
चिंता में आँखे भरी कहती,
हर कोई इस असल के लायक नहीं।
कोई तुम्हे छल लेगा।
सच बोलूं क्या मैं अब?
हँस फिर मिला एक जवाब इन्हीं बातो से
कहूँ।
कोई नहीं हो तो दूर हो जाऊं,
लेकिन उनको एक प्रेम भाव सिखाऊँ।
यहीं एक रिश्ता है जो पाया है,
परिवार है जो मनन्तों से मिलता हैं।
वो है ना मेरे पास।
सीख लेती हर दूरी से।
ये वो जानते हैं ।
भाव सिखाया गया हैं आखिर उन्ही का है।
जिंदगी बेहतर और यादगार तो बन सकती हैं।
माना कुछ लेकर नहीं आए ना ही लेकर जायेंगे।
लेकिन नाम है वो लेकर जाऊंगी।
जन्म में वो नहीं था,
लेकिन मरने के बाद लेकर जाऊंगी।
लिखा होगा,नाम मेरे शक्सियत पर।
किया होगा,जिसको मैने आबाद प्रेम से।
अब ये भाव से पहचाना जाये या नाम से।
हर आत्मा में मेरे नाम से और चाहे भाव से,
याद में मेरी तस्वीर होगी तो सही।


© 🍁frame of mìnd🍁