...

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अब तुम्हे इंतजार किसका हैं।
#अब तुम्हे इंतजार किसका हैं।

सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
उठो तुम अब तुम्हे इंतजार किसका है
सवेरा कब से तुम्हारी राह तक रहा है

मंजिल अभी दूर दिखाई पड़ती है
खुद से जितने की एक ज़िद आंखो में दिखाई पड़ती है।
उठो खुद को संघर्ष की आग में जलने दो
सुनहरे भविष्य के लिए आज को मेहनत की सिहाही में पिरोने दो।

उठो अब तुम्हे इंतजार किसका है
मंजिल के रास्ते में मिलने वाले ठोकर का दर्द कितना है।
इन छोटे टकराव से तुम रुकना नही
सामने है सवेरा तुम कभी झुकना नहीं।

© The Burning🔥soul Niraj