...

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बूँदे

बूंदे ,बरसती हुई अच्छी लगती है ,
टपकती हुई भी
कुछ ठहरी लटकती हुई भी
कुछ चमकती दमकती भी
इस धरा का चुम्बन कर
फिर क्यूँ ओझल हो जाती है बूँदें
तेरा अस्तित्व भी /...