...

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कितने रंग दिखाओगे
भूल गए क्या? तुम इंसान हो
गिरगिट नही , और कितने
रंग दिखाओगे .... मै सिर्फ
तुम्हारा हूं ये लिख लिख
कर किस किस को और
कितने खत भेजवाओगे .........
ये जो तुम बात बात पर
बातो में अपनी फसाते हो
जरा बताओ इतनी मिठास
कहा? से लाते हो ,

अरे भूल गए क्या? तुम
इंसान हो गिरगिट नही जो
इतने रंग दिखाते हो ........

तुम्हारे ये जो कसमें वादे
है , क्यों? सब अधूरे , आधे है
धीरे धीरे समझे हम तेरे
क्या? इरादे है .....…...…..

अरे गिरगिट भी हैरान
होगा इस कश्मकश में ,
ये इंसान तो मुझसे भी
रंग बदलने में दस क़दम
आगे है।