छोड़ कर मत जाना
रूठ जाना हमसें, हम मना लेंगे तुम
लेकिन छोड़ कर मत जाना ।
चाहे कुछ भी कहे ये जमाना
लेकिन छोड़ के मत जाना।।
बरसों की तपस्या के बाद पाया है तुमको
कितनी रातों को जागा हुँ तुम्हारे लिए
तुमको क्या मालूम ।
उन काली रातों का हिसाब तो सिर्फ में या
मेरा रब ही जानता है, तुम्हे क्या मालूम ।।
प्रियतम से बिछड़े का दर्द तो सारस से पूछो
वह प्रियतम के ना होने पर कुछ ही जिंदा रहता हैं
रूठ जाना मना लेंगे लेकिन छोड़कर मत जाना
इसे प्यार कहूँ या पागलपन कोई तो समझाये मुझे ।
प्रियतम के बिना कैसे रहा जाये ,कोई समझाये मुझे ।।
दुनिया ने ना जाने कितने नामों से नवाजा मुझे ।
किसी ने कहा रांझा ,किसी ने पागल प्रेमी कहा मुझे।।
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