...

5 views

रिश्तों की सिलवटें
कपड़े और रिश्ते लगभग एक से होते है,
जितना कम संभालो उतना आब खोते है;

समय-समय पे कपड़ो की तरह रिश्तों को भी संभालना जरूरी है,
शायद फिर ना मिले ये ज़िंदगी रिश्तों को सहेजना जरूरी है;

मानो न मानो रिश्तों में भी सिलवटें आती हैं,
ये लकीरें जितना बढ़ती है,बढ़ती ही जाती हैं;

गाहे-बगाहे नए-पुराने रिश्तों को संभाल लिया किजिये,
रिश्ते की सिलवटें बढ़ने न पाए,कोशिश किया कीजिये;

© shobha panchariya
#writco
#quoteofmine
#रिश्तों_की_सिलवटें