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रिश्तों की सिलवटें
कपड़े और रिश्ते लगभग एक से होते है,
जितना कम संभालो उतना आब खोते है;
समय-समय पे कपड़ो की तरह रिश्तों को भी संभालना जरूरी है,
शायद फिर ना मिले ये ज़िंदगी रिश्तों को सहेजना जरूरी है;
मानो न मानो रिश्तों में भी सिलवटें आती हैं,
ये लकीरें जितना बढ़ती है,बढ़ती ही जाती हैं;
गाहे-बगाहे नए-पुराने रिश्तों को संभाल लिया किजिये,
रिश्ते की सिलवटें बढ़ने न पाए,कोशिश किया कीजिये;
© shobha panchariya
#writco
#quoteofmine
#रिश्तों_की_सिलवटें
जितना कम संभालो उतना आब खोते है;
समय-समय पे कपड़ो की तरह रिश्तों को भी संभालना जरूरी है,
शायद फिर ना मिले ये ज़िंदगी रिश्तों को सहेजना जरूरी है;
मानो न मानो रिश्तों में भी सिलवटें आती हैं,
ये लकीरें जितना बढ़ती है,बढ़ती ही जाती हैं;
गाहे-बगाहे नए-पुराने रिश्तों को संभाल लिया किजिये,
रिश्ते की सिलवटें बढ़ने न पाए,कोशिश किया कीजिये;
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