रिश्तों की सिलवटें
कपड़े और रिश्ते लगभग एक से होते है,
जितना कम संभालो उतना आब खोते है;
समय-समय पे कपड़ो की तरह रिश्तों को भी संभालना जरूरी है,
शायद फिर ना मिले ये ज़िंदगी रिश्तों...
जितना कम संभालो उतना आब खोते है;
समय-समय पे कपड़ो की तरह रिश्तों को भी संभालना जरूरी है,
शायद फिर ना मिले ये ज़िंदगी रिश्तों...