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प्रेम तो दो दिलों की है एक भावना
प्रेम तो दो दिलों की है , एक भावना ।
जैसे याचक ने की को कोई याचना ।
प्रेम जलते दिए सा है एक आवरण ।
जैसे ईश्वर को अर्पण कोई प्रार्थना।

प्रेम सिय की प्रतिक्षा की एक साधना ।
राम संग वन गमन की है एक कामना ।
प्रेम मीरा के गीतों की एक है कड़ी ।
या मानस की चौपाई को जानना ।

प्रेम तो दो,,,,,,

प्रेम माधव का एकटक राधा को देखना ।
दूजे पल में ही अपने नयन मीचना ।
पीड़ ह्रदय की कह न सके सावरे ।
बातो ही बातो में ,हाथो को भीचना।
धर अधर पे जो वंशी बजाने लगे ।
सबके मन को अधिकतम लुभाने लगे ।
प्रेम की तरनी से ,जीवन को सीचना।
प्रेम तो दो दिलों,,,


तरनी,,,नदी

© Sarthak writings