...

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धूप
यही गुनाह के सर सलामत ना रख सका अपना
बाजुएं क्षिण थी शमशीरें रखनी पड़ी

तेज धूप और सर्द हवाएं
बहारो कि भी खबर रखनी पड़ी

गुलामी साज है...