आखिरी मुलाकात
यार पुरना तुम्हारी यादों का एक और साल हो गया,,
संभाले रखा हो तुम्हे वैसा वो तुम्हारा रुमाल हो गया,,
देखो ना ये भी कैसा अजीब ही मोहब्बत का दास्तान है,,
की तुम्हे भुलाके तुम्हारे इंतज़ार से इश्क बेमिसाल हो गया,
चिट्ठियों के दौर से डिजिटल के इस जमाने में भी तुम्हारा,,
अब रह तकना मेरे लिए कई मुस्किलों का सवाल हो गया,,
कितनी ही बार कोशिश की तुमसे मिल आने को...
संभाले रखा हो तुम्हे वैसा वो तुम्हारा रुमाल हो गया,,
देखो ना ये भी कैसा अजीब ही मोहब्बत का दास्तान है,,
की तुम्हे भुलाके तुम्हारे इंतज़ार से इश्क बेमिसाल हो गया,
चिट्ठियों के दौर से डिजिटल के इस जमाने में भी तुम्हारा,,
अब रह तकना मेरे लिए कई मुस्किलों का सवाल हो गया,,
कितनी ही बार कोशिश की तुमसे मिल आने को...