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तुम कहती हो न लिखो कुछ मेरे लिए
मिलो कभी किसी चौराहे पे
तुम अपनी सुनाना
हम भी तुम्हे कुछ सुनाएंगे ।।
तुम कहती हो न मांगो खुदा से,
अगर वो सच में कुछ देता है
तो हम तुम्हे मांगना चाहेंगे ।।
तुम हमेशा कहती हो न
लिखो कुछ हमारे लिए
तुम मिलो तो सही
तुम्हे हर वो लफ्ज़ दिखाएंगे ।।
तुम थी जो साथ कुछ पल
हर वो पल तुम्हे याद दिलाएंगे ।।
मिलो कभी किसी चौराहे पे
तुम अपनी सुनाना
हम भी तुम्हे कुछ सुनाएंगे ।।
हर बेवकूफी तुम्हारी अब हमें काबुल है
तुम ना हो तो ये जिंदगी भी फिजूल है।।
कभी मिलो तो सही
हर ख्वाब तेरे संग सजाएंगे ।।
© Namrata Mahato
तुम अपनी सुनाना
हम भी तुम्हे कुछ सुनाएंगे ।।
तुम कहती हो न मांगो खुदा से,
अगर वो सच में कुछ देता है
तो हम तुम्हे मांगना चाहेंगे ।।
तुम हमेशा कहती हो न
लिखो कुछ हमारे लिए
तुम मिलो तो सही
तुम्हे हर वो लफ्ज़ दिखाएंगे ।।
तुम थी जो साथ कुछ पल
हर वो पल तुम्हे याद दिलाएंगे ।।
मिलो कभी किसी चौराहे पे
तुम अपनी सुनाना
हम भी तुम्हे कुछ सुनाएंगे ।।
हर बेवकूफी तुम्हारी अब हमें काबुल है
तुम ना हो तो ये जिंदगी भी फिजूल है।।
कभी मिलो तो सही
हर ख्वाब तेरे संग सजाएंगे ।।
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