छुअन
सुनो,
मैं तुम्हें छूना चाहती हूं
अपने,,
कलम से निकले हर एक शब्दों में
मैं तुम्हें छूना चाहती हूं
अपनी कविता,,
और नज्मों की हर एक लय में
मैं तुम्हें छूना चाहती हूं
अपने,,
हृदय से निकलते हर एक...
मैं तुम्हें छूना चाहती हूं
अपने,,
कलम से निकले हर एक शब्दों में
मैं तुम्हें छूना चाहती हूं
अपनी कविता,,
और नज्मों की हर एक लय में
मैं तुम्हें छूना चाहती हूं
अपने,,
हृदय से निकलते हर एक...