...

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।।अब तुम्हें निकालना है।।
जैसे परबत में से दरिया निकालना है,
ऐसे ही ख़ुद में से अब तुम्हें निकालना है।।

दूसरों को तो संभाला है कई दफा,
इस मर्तबा ख़ुद को संभालना है।।

जिसपे भूले से भी तुम टकरा ना जाओ,
कदमों को ऐसी किसी रहगुज़र पर डालना है।।

यूं तो आंखों से निकले हो...