यादें
वो गलियां भूल आये हैं, वो राहें भूल आये हैं,
कभी आगोश में थे जिसके, वो बाहें भूल आये हैं।
कभी बंजारों से जो घूमें थे, उसके दीदार के सदके,
वो दरिया सी,...
कभी आगोश में थे जिसके, वो बाहें भूल आये हैं।
कभी बंजारों से जो घूमें थे, उसके दीदार के सदके,
वो दरिया सी,...