...

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तो फिर क्यूं होना चाहिए इश्क
नही होना चाहिए इश्क
बस इसलिए की

हमारी एक जात है
या फिर तुम्हारा रंग
मुझसे थोड़ा साफ है

या तुम्हे भी पसंद है
मेरी तरह ही कॉफी

या बस खाली वक्त
किसी के साथ गुजारने की चाह है

तो आखिर कब होना चाहिए
इश्क ?

जब दोस्त के साथ
चाय सिगरेट पीते हुए
तुम्हे खयाल आये की
उसे सिगरेट नहीं पसंद

और तुम सिगरेट
सुलगने से पहले
दोस्त को पकड़ा दो
और कह सको
उसने मना किया है

जब बगल से गुज़र रही लड़की
तुम्हे देख कर मुस्कुराये
तो पलट कर मुस्कुरा सको
तुम्हे यकीन हो खुद पर और उसे भी

जब उसके पीरियड्स
में होने वाले
मन के बदलाव
और बिगड़ते मिजाज को
तुम समझ पाओ
और बस सहला पाओ
उसका सर हल्के हाथों
और माथा चूम सको

जब तुम जा सको
लड़कों से भरे
कॉलेज पिकिनिक पर
और वो,ना पूछे की
तुमने क्यों रखा है
किसी लड़के दोस्त के
कांधे पर हाथ

तो फिर दिल खोल कर
समझदारी के साथ
इसके हर हिस्से को
अपनाने के खयाल के साथ
इश्क करो
इश्क तो आज भी पाक है
और खूबसूरत भी।

pic credit: my phone
© life🧬