अच्छा होता
तुम पराये ही रहते
मन में कोई क्लेश न होता,
न कोई वेदना न इंतज़ार
दिल अकिंचित प्रवाह न बनता,
अच्छा होता तुम पराये ही रहते
कोई उम्मीद कोई आस न होता।।
मन में कोई क्लेश न होता,
न कोई वेदना न इंतज़ार
दिल अकिंचित प्रवाह न बनता,
अच्छा होता तुम पराये ही रहते
कोई उम्मीद कोई आस न होता।।
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