...

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अच्छा होता
तुम पराये ही रहते
मन में कोई क्लेश न होता,

न कोई वेदना न इंतज़ार
दिल अकिंचित प्रवाह न बनता,

अच्छा होता तुम पराये ही रहते
कोई उम्मीद कोई आस न होता।।