हिज़ाब
कभी भूल के मेरी गली आया करो जनाब
इतना भी जुल्म मुझपे ना ढाया करो जनाब
मिलतें हो तो लबों से जुंबिंश नही करते
बात खुलके मुझसे बताया करो जनाब
तुम बेखबर हो शायद मेरे इश्क़ से मगर
मेरे दिल ने तुम्हें...
इतना भी जुल्म मुझपे ना ढाया करो जनाब
मिलतें हो तो लबों से जुंबिंश नही करते
बात खुलके मुझसे बताया करो जनाब
तुम बेखबर हो शायद मेरे इश्क़ से मगर
मेरे दिल ने तुम्हें...