चलते हैं
आज फिर उन्हीं राहों पर चलते हैं
जहां से बिछड़े थे कभी
फिर उन्ही चौराहों पर चलते हैं ।
अक्सर तुम मिलते हो ख्वाबों में कहीं
आज तुम्हें हकीकत में पाने को चलते हैं
आज फिर उन्हीं राहों पर चलते हैं
जहां से बिछड़े थे कभी
फिर उन्ही चौराहों पर चलते हैं ।
मोहब्बत की तकरार शुरू हुई था जहां से
आज वहां इश्क की सौगात पाने को चलते है ...
जहां से बिछड़े थे कभी
फिर उन्ही चौराहों पर चलते हैं ।
अक्सर तुम मिलते हो ख्वाबों में कहीं
आज तुम्हें हकीकत में पाने को चलते हैं
आज फिर उन्हीं राहों पर चलते हैं
जहां से बिछड़े थे कभी
फिर उन्ही चौराहों पर चलते हैं ।
मोहब्बत की तकरार शुरू हुई था जहां से
आज वहां इश्क की सौगात पाने को चलते है ...