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ग़लत
ये भी ग़लत वो भी ग़लत।
बस हम सही, बाक़ी ग़लत।
पीना जिन्हें आया नहीं,
वो कह रहे साक़ी ग़लत।
ताला भला कैसे खुले,
जब लाये हो चाबी ग़लत।
सब फ़ैसले लेती कलम,
किसने कहा स्याही ग़लत।
रहबर ने ख़ुद भटका दिया,
फ़िर कह दिया राही ग़लत।
ख़िदमत वतन की जिसने की,
देना उसे गाली, ग़लत।
बर्बाद कर देगा चमन,
ग़र चुन लिया माली ग़लत।
© इन्दु
बस हम सही, बाक़ी ग़लत।
पीना जिन्हें आया नहीं,
वो कह रहे साक़ी ग़लत।
ताला भला कैसे खुले,
जब लाये हो चाबी ग़लत।
सब फ़ैसले लेती कलम,
किसने कहा स्याही ग़लत।
रहबर ने ख़ुद भटका दिया,
फ़िर कह दिया राही ग़लत।
ख़िदमत वतन की जिसने की,
देना उसे गाली, ग़लत।
बर्बाद कर देगा चमन,
ग़र चुन लिया माली ग़लत।
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